तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास - जिस समास का उत्तरपद प्रधान तथा पूर्वपद गौण हो, वह तत्पुरुष समास कहलाता है !
जैसे -:
रसोईघर - रसोई के लिए घर
गगनचुम्बी - गगन को चूमने वाला
पथभ्रष्ट - पथ से भ्रष्ट
जन्मांध - जन्म से अंधा
भूदान - भू का दान
कलानिपुण - कला में निपुण
तत्पुरुष समास के छः भेद होते हैं -
1. कर्म तत्पुरुष - इसमें कर्म कारक की विभक्ति 'को' का लोप हो जाता है ;
जैसे -
शरणागत - शरण को आया हुआ
ग्रंथकार - ग्रन्थ को लिखने वाला
माखनचोर - माखन को चुराने वाला
चिड़ीमार - चिड़ियों को मारने वाला
2. करण तत्पुरुष - इसमें करण कारक की विभक्ति 'से' और ' के द्वारा ' का लोप हो जाता है ;
जैसे -
सूरकृत - सूर के द्वारा कृत
मनचाहा - मन से चाहा
भुखमरा - भूक से मारा हुआ
ज्ञानयुक्त - ज्ञान से युक्त
3. सम्प्रदान तत्पुरुष - इसमें सम्प्रदान कारक की विभक्ति ' के लिए ' का लोप हो जाता है ;
जैसे-: हवन सामग्री- हवन के लिए सामग्री
गुरुदक्षिणा - गुरु के लिए दक्षिणा
सत्याग्रह - सत्य के लिए आग्रह
देशभक्ति - देश के लिए भक्ति
4. अपादान तत्पुरुष - इसमें अपादान कारक की विभक्ति 'से' का लोप हो जाता है ;
जैसे -:
जीवनमुक्त - जीवन से मुक्त
धनहीन - धन से हीन
देशनिकाला - देश से निकाला
ऋणमुक्त - ऋण से मुक्त
5. संबंध तत्पुरुष - इसमें संबंध कारक की विभक्ति 'का',की',के' का लोप हो जाता है ;
जैसे -:
पवनपुत्र - पवन का पुत्र
घुड़दौड़ - घोड़ों की दौड़
नियमानुसार - नियम के अनुसार
सेनापति - सेना का पति
6. अधिकरण तत्पुरुष- इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति 'में',पर' का लोप हो जाता है ;
जैसे -:
दानवीर - दान में वीर
वनवास - वन में वास
आपबीती - आप पर बीती
पुरषोत्तम - पुरुषों में उत्तम
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