स्वरों का प्रयोग
स्वरों का प्रयोग
शब्दों में स्वरों का प्रयोग दो प्रकार से होता है --
1 . मूल रूप में -- कई बार स्वर शब्दों में मूल रूप में प्रयोग होते है ; जैसे -- अनार, आम , इमली , ईख , ऐनक आदि।
2 . मात्रा के रूप में -- जब स्वरों का व्यंजनों के साथ संयोग होता है , तो उनका स्वरुप बदल जाता है। स्वरों का यह बदला हुआ रूप मात्रा कहलाता है।
3. अयोगवाह -- हिंदी वर्णमाला में तीन ऐसे वर्ण भी प्रयोग होते हैं जो न तो स्वर है और न ही व्यंजन, इन्हें अयोगवाह कहते हैं।
ये इस प्रकार हैं -- ( क ) अनुस्वार { अं }
( ख ) अनुनासिक { ाँ } जैसे - चाँद
( ग ) विसर्ग { ाः } जैसे- नमः
( क ) अनुस्वार { अं } --- अनुस्वार का उच्चारण नासिका से होता है।
( ख ) अनुनासिक { ाँ } --- अनुनासिक का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से होता है।
( ग ) विसर्ग { ाः } --- विसर्ग का उच्चारण (ह) के समान होता है। जैसे - प्रातः , अतः आदि।
Written by sanjay sen
शब्दों में स्वरों का प्रयोग दो प्रकार से होता है --
1 . मूल रूप में -- कई बार स्वर शब्दों में मूल रूप में प्रयोग होते है ; जैसे -- अनार, आम , इमली , ईख , ऐनक आदि।
2 . मात्रा के रूप में -- जब स्वरों का व्यंजनों के साथ संयोग होता है , तो उनका स्वरुप बदल जाता है। स्वरों का यह बदला हुआ रूप मात्रा कहलाता है।
3. अयोगवाह -- हिंदी वर्णमाला में तीन ऐसे वर्ण भी प्रयोग होते हैं जो न तो स्वर है और न ही व्यंजन, इन्हें अयोगवाह कहते हैं।
ये इस प्रकार हैं -- ( क ) अनुस्वार { अं }
( ख ) अनुनासिक { ाँ } जैसे - चाँद
( ग ) विसर्ग { ाः } जैसे- नमः
( क ) अनुस्वार { अं } --- अनुस्वार का उच्चारण नासिका से होता है।
( ख ) अनुनासिक { ाँ } --- अनुनासिक का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से होता है।
( ग ) विसर्ग { ाः } --- विसर्ग का उच्चारण (ह) के समान होता है। जैसे - प्रातः , अतः आदि।
Written by sanjay sen
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