निबंध-: पुस्तकालय अथवा पुस्तकालय का महत्व ।
निबंध-: पुस्तकालय अथवा पुस्तकालय का महत्व ।
रूपरेखा -:
1. प्रस्तावना
2. भारत एवं पुस्तकालय
3. पुस्तकालयों की श्रेणियाँ
4. लाभ
5.उपसंहार
1. प्रस्तावना - मानव एक बुद्धि प्रधान प्राणी है, उसकी प्रतिपल चेष्टा नवीन ज्ञान प्राप्त करने की होती है। वर्तमान युग में मनुष्य अनेक समस्याओं के जाल में उलझा हुआ है। उसमें इतनी क्षमता नहीं है कि स्वयं के धन से अपनी रुचि के अनुकूल पुस्तकें क्रय कर सके।
अतः उसकी इस समस्या का निराकरण पुस्तकालय के माध्यम से ही संभव है।
2. भारत एवं पुस्तकालय - भारत की धरती पर पुस्तकालय की परंपरा प्राचीन काल से ही अस्तित्व में है। नालंदा तथा तक्षशिला विश्वविद्यालय के पुस्तकालय इसके महान उदाहरण थे।
3. पुस्तकालयों की श्रेणियां - पुस्तकालयों की भी अनेक श्रेणियां होती है। विद्यालयों के पुस्तकालयों में भी पाठ्यक्रम के अतिरिक्त अन्य जीवन उपयोगी पुस्तकें भी उपलब्ध होती है। वाचनालयों में देश-विदेश की ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ने को मिलती है।
छात्र इनका अध्ययन करके अपने ज्ञान का विस्तार करते हैं। निजी पुस्तकालयों का उपयोग केवल संपन्न व्यक्तियों तक ही सीमित है । इसके अतिरिक्त सार्वजनिक पुस्तकालय भी होते हैं।
भूगोल, गणित , विज्ञान , इतिहास तथा सांसारिक ज्ञान प्राप्त करने का पुस्तकालय एकमात्र साधन है।
5. उपसंहार - पुस्तकालय ज्ञान के अक्षय कोष हैं। पुस्तकालय के कक्ष में बैठकर रुचि के अनुकूल कवियों तथा दार्शनिकों के विचारों का भली-भांति ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
सांसारिक तथा सभ्यता के अनुशीलन से भारत के गौरवपूर्ण अतीत की झांकी देख सकते हैं। समग्र रूपेण पुस्तकालय हमारे लिए अत्यधिक लाभप्रद है यह ज्ञान के पावन तीर्थ ही नहीं अपितु हमारे ज्ञान चक्षु भी हैं।
आज आपने सीखा-: निबंध पुस्तकालय अथवा पुस्तकालय का महत्व।
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