पाठ 11 शब्द रहित संसार BPS ONLINE CLASSES
बच्चों ! क्या आप जानते हैं संचार किसे कहते हैं?
संचार का अर्थ है- सूचनाओं ,भावनाओं व विचारों का आदान-प्रदान।
संचार हमारे दैनिक जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। हम अपनी योजनाओं विचारों एवं भावों को मुख्यता शब्दों में व्यक्त करते हैं। संचार का स्वरूप प्रमुख साधन है- वार्तालाप अर्थात बातचीत। दुनिया में लोगों द्वारा रोजाना लाखों-करोड़ों शब्द बोले जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति के पास अन्य व्यक्तियों के साथ बांटने के लिए अनेक विचार तथा भाव व योजनाएं एवं सूचनाएं होती है।
कभी-कभी किसी सूचना को शब्दों द्वारा व्यक्त करने में बहुत लंबा समय लग जाता है। इसी कारण मानव ने विभिन्न संकेतों एवं प्रतीकों का आविष्कार किया। इनके द्वारा एक ही समय में बहुत से लोगों को सूचना दी जा सकती है; जैसे- किसी दमकल गाड़ी का तेज बजे का सायरन आपको बता देता है कि कहीं आग लगी हुई है और आपको उसके रास्ते से तुरंत हट जाना है, चौराहों पर जलती लाल बाहरी बत्तियां आपको रुकने व चलने के निर्देश देती है, इमारतों आदि पर आधा झुका हुआ ध्वज यह दर्शाता है कि किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का निधन हो गया है। यह सब प्रतीक शब्दों का सहारा लिए बिना ही संचार का कार्य करते हैं।
कई बार लोग बिना कोई शब्द बोले अपने विचारों का आदान-प्रदान कर लेते हैं। आप किसी कमरे में प्रवेश करने से पहले उसके बंद दरवाजे को खटखटा ते हैं ताकि अंदर बैठा व्यक्ति है जान सके कि आप कमरे में प्रवेश करने की अनुमति चाहते हैं।
कक्षा में अपना हाथ उठा कर आप अपने अध्यापक को यह सूचित करते हैं कि आप कुछ कहना चाहते हैं अथवा कोई प्रश्न पूछना या किसी प्रश्न का उत्तर देना चाहते हैं। कई बार दूर खड़े व्यक्ति को आप केवल अपना हाथ हिला कर उसका अभिवादन करते हैं। इन सब को इशारा कहा जाता है।
कभी-कभी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना अत्यंत कठिन होता है। कई बार हमारी भावना का पता हमारे चेहरे की भाव-भंगिमा से चल जाता है।
जैसे कभी हम खुशी में मुस्कुराते हैं तो कभी गुस्से से भौंहें चढ़ा लेते हैं।
कभी हम घृणा से नाक भौं सिकोड़ना हैं तो कभी अत्यधिक दुख में रोने लगते हैं। हमारा चेहरा हमारी भावनाओं का आईना होता है।
यदि किसी पुस्तक को आप किस समय पड़ रहे हैं और वह अचानक हवा में उड़ने लगे तो आपका मुंह खुला रह जाएगा और आँखें फैल जाएगी। आप कई बार अपनी अध्यापिका का केवल चेहरा देखकर ही जान लेते हैं कि वह गुस्से में है अथवा नहीं। अगली बार जब आप रूठ कर मुंह फुला ले तो अपना चेहरा आईने में देखिएगा।
कई बार हम लोगों के बैठने चलने आदि के अंदाज से जान लेते हैं कि वह इस समय कैसा महसूस कर रहे हैं। यदि आप बोर हो रहे हैं तो आप कुर्सी पर अध्लेटे हो जाएंगे। यदि आपकी माता जी आपको सर्कस ले चलने के लिए कहे तो आप खुशी से नाचने कूदने लगेंगे, आपको बिना हिले डुले बैठना बहुत मुश्किल हो जाएगा। यदि आप की मनोदशा अच्छी नहीं है तो आप धीरे-धीरे चलेंगे वह लोगों को देर तक घूमते रहेंगे।
बहुत से लोग अपने भावों को अपनी बनाई हुई वस्तु द्वारा प्रकट करते हैं। पत्रकार अपनी कलाकृतियों में अनेक भाव दर्शाते हैं। नर्तक अपने नृत्य के द्वारा विभिन्न विचारों एवं भावनाओं का प्रदर्शन करते हैं। संगीत के द्वारा भी विभिन्न भावनाओं का आदान-प्रदान होता है। कभी-कभी संगीत किसी श्रोता को प्रसन्न अथवा दुखी कर देता है तो कभी-कभी उसे नाचने के लिए मजबूर भी कर देता है। लेखक व कवि अपनी कहानियों कविताओं नाटकों एवं गीतों में इस दुनिया की विभिन्न घटनाओं का वर्णन करते हैं। वह घटनाएं चाहे वास्तविक हो या काल्पनिक। वे चाहे पूर्व में घटित हो चुकी हो चाहे वर्तमान में हो रही हो या फिर भविष्य में होने वाली हो उनकी रचनाओं में मानव एवं उसकी विभिन्न भावनाओं का भी वर्णन होता है।
कलाकृतियां संगीत एवं पुस्तक के विचारों और भावनाओं के आदान-प्रदान के महत्वपूर्ण साधन है इनके साथ-साथ पोस्टर समाचार पत्र पत्रिकाएं रेडियो एवं चलचित्र दूरदर्शन भी संचार के उत्तम साधन है इनसे हमें दुनिया की जानकारी के साथ-साथ विभिन्न लोगों की विचारधाराओं का भी ज्ञान होता है।
प्राचीन काल में आदिमानव अपने आसपास अनेक प्रकार के ध्वनियां सुनता था। फिर वह ध्वनियों का प्रयोग कर उनसे बोलना सीख। धीरे उसने लिखना भी सीख लिया। आरंभ में वह अपनी गुफाओं की दीवारों अथवा चोरी सपाट चट्टानों पर चित्रकारी भी करता था भारत में अनेक स्थानों पर ऐसे भित्ति चित्र पाए गए हैं।
प्राचीन काल में अमेरिका में रहने वाले आदिवासी जंतुओं की खालो एवं लकड़ी आदि पर चित्रकारी करते थे। वे आगे व मधुमेह के प्रयोग द्वारा भी संदेशों का आदान प्रदान करते थे इसके लिए वह आप को जलाते थे और फिर उसका कुछ भाग्य ली घास से ढक देते थे जिससे गहरा घना धुआं उत्पन्न होता था।
सचिन काल में संदेशों को भेजने के लिए घंटों का प्रयोग भी किया जाता था।
किसी खतरे अथवा अन्य महत्वपूर्ण घटना के घटित होने पर मीनारों की चोटियों पर लगे विशाल घंटों को बजा कर लोगों को इकट्ठा किया जाता था।
भारत में भी बहुत से राजा अपने संदेशों को आम जनता तक पहुंचाने के लिए मुनादी वाले का प्रयोग करते हैं।
यह व्यक्ति अपने गले में बड़ा सा ढोल डालकर गांव-गांव घूमता था तथा किसी खुली जगह पर बैठ ढोल बजा कर लोगों को इकट्ठा करता और फिर राजा का संदेश सुनाता था।
ढोल की आवाज सुनकर ही स्थानीय निवासी समझ जाते थे कि राजा ने कोई महत्वपूर्ण संदेश भेजा है अतः बिना बुलाए ही लोग ढोल की आवाज सुनकर इकट्ठे हो जाते थे और आज भी छोटे गांव और कस्बों में मुनादी वाले सर्कस मेलो झांकियों आदि की सूचना देते हैं।
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