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व्याकरण की परिभाषा और व्याकरण के अंग
सड़क पर वाहन चलाते समय सड़क के नियमों का पालन करना आवश्यक है! यदि इन नियमों का पालन न किया जाये तो दुर्घटना होने का भय रहता है ! इसी प्रकार यदि भाषा का प्रयोग करते समय भाषा के नियमों का पालन न किया जाये तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है ! इन नियमों का ज्ञान हमें व्याकरण करवाता है !
व्याकरण की परिभाषा
व्याकरण वह शास्त्र है जो भाषा को शुद्ध रूप में पढ़ने , समझने , बोलने और लिखने की विधि सिखाता है !
व्यावहारिक रूप से व्याकरण के चार 4 अंग होते है --
1. वर्ण -विचार , 2. शब्द -विचार, 3. पद - विचार 4. वाक्य - विचार
1. वर्ण -विचार = व्याकरण के जिस विभाग में वर्णो की उत्पत्ति , आकार , भेद , उच्चारण आदि पर विचार किया जाता है , उसे
वर्ण -विचार कहते है !
2. शब्द -विचार = व्याकरण के जिस विभाग में शब्दों के भेद , व्युत्पत्ति ,रचना आदि पर विचार किया जाता है , उसे शब्द -विचार कहते है !
3. पद - विचार = व्याकरण के जिस भाग से पदों के रूप - परिवर्तन , रचना , भेद , कार्य आदि पर विचार किया जाता है , उसे पद - विचार कहते है !
4. वाक्य - विचार = व्याकरण के जिस विभाग में वाक्यों के भेद , रचना , वाक्य -विश्लेषण , विराम -चिन्हों आदि पर विचार किया जाता है , उसे वाक्य - विचार कहते है !
संजय सेन
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