भाषा और व्याकरण

                     भाषा और व्याकरण 

प्रारंभ से ही मनुष्य को अपने भाव व संवेदनाएँ एक -दूसरे को प्रेषित करने की आवश्यकता रही है ! किन्तु पहले मनुष्य की भाषा अस्पष्ट और संकेतात्मक थी ! वह पशु पक्षियों की भांति विभिन्न ध्वनियों द्वारा अपनी भावनाओं का आदान प्रदान करता था ! सभ्यता के विकाश के साथ साथ उसे अपनी बात दुसरो के सामने अभिव्यक्त करने के लिए तथा दूसरों की बात समझने के लिए एक उन्नत साधन की आवश्यकता अनुभव हुई , जिसके फलस्वरूप भाषा का जन्म हुआ ! 

परिभाषा--- वह साधन जिसके द्वारा हम बोलकर , सुनकर , पढ़कर , या लिखकर अपने भावों और विचारों का आदान -प्रदान करते है , भाषा कहलाती है !


                               भाषा के रूप 
भाषा के 2 [दो ] रूप होते है -- 
 मौखिक भाषा 
लिखित भाषा 

 मौखिक भाषा--- जब हम अपने विचारों को बातचीत के द्वारा प्रकट करते है , तो उसे मौखिक भाषा कहते है ! इसे कथिक भाषा  भी कहते है ! जैसे - कहानी ,कविता सुनना ,टेलीफ़ोन पर बातें करना आदि मौखिक भाषा के ही रूप है !
लिखित भाषा--- जब हम अपने विचारो को लिखकर अथवा पढ़कर प्रकट करते है , तो उसे लिखित भाषा  कहते है ! जैसे - पुस्तक पढ़ना , पत्र लिखना , पत्रिकाएं पढ़ना आदि लिखित भाषा के उदाहरण हैं !

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