मुहावरे
मुहावरे
मुहावरे प्रभावी उद्भोदन और उत्कृष्ट लेखन के अद्वितीय संसाधन हैं ! वस्तुतः जो भाषा सम्प्रेषण में जितनी अधिक क्षमता रखती है , वह उतनी ही समृद्ध मानी जाती है ! मुहावरे अभिव्यक्ति के सबल माध्यम है ! इनके द्वारा मनुष्य अपने अनुभवों को सहज अभिव्यक्ति देता है और वाकशक्ति संपन्न बनता है ! मुहावरों से भाषा में ताजगी और अभिव्यक्ति में संक्षिप्तता भी आती है ! अपनी सांस्कृतिक विरासत की अभिरक्षा भी इनके प्रयोगों से होती है !
मुहावरा ; स्वरुप और परिभाषा --
'' मुहावरा '' अरबी भाषा का शब्द है , जिसका अर्थ है - अभ्यास !
अपने पारिभाषिक अर्थ में यह शब्द एक ऐसी विशिष्ट शब्द - योजना के लिए प्रयुक्त होता है होता है जो अभिप्रेत अर्थ की अभिव्यक्ति में विशेष सहायक होता है !
डॉ. ओमप्रकाश गुप्त ने लिखा है - अभिधेयार्थ से भिन्न कोई विशेष अर्थ देने वाले किसी भाषा के गड़े हुए रूढ़ वाक्य , वाक्यांश अथवा शब्द इत्यादि को मुहावरा कहते हैं।
मुहावरों की विशेषताएं -
1. मुहावरे में शब्दों का लक्ष्यार्थ ग्रहण किया जाता है : वाच्यार्थ नहीं !
' तलवार की धार पर चलना ' का अर्थ है जोखिम भरा या कठिन काम करना। इसमें मुख्य अर्थ का बोधमुहावरे शक्ति से गृहीत किया गया है।
2. मुहावरे की शब्द योजना में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
3. मुहावरे अर्थ द्योतन में रूढ़ हो जाते हैं। नए मुहावरे की रचना सहजतः नहीं हो सकती।
मुहावरा - निर्माण भाषा की सतत विकसित परंपरा निधि है।
4. मुहावरों का प्रयोग सदैव वाक्य में किया जाता है। वाक्य में प्रयुक्त होने पर मुहावरा अपना अर्थ निष्पन्न होने पर ही अपने व्यंजनापरक अर्थ को स्पष्ट करता है।
5. मुहावरे के शब्द - क्रम में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता !
नौ दो ग्यारह होना ' की जगह दो - नौ ग्यारह ' का प्रयोग किंचित सटीक नहीं हो सकता !
6. मुहावरे का वाक्य में प्रयोग करने पर उसका क्रियारूप , लिंग , वचन , कारक आदि के अनुसार परिवर्तित हो जाता है !
मुहावरों का उद्भव -
मुहावरों का उद्भव -
भावाभिव्यक्ति की विविधता ने प्रथमतः मुहावरों को जनम दिया होगा !
प्रेम , घृणा , क्रोध आदि की अभिव्यक्ति कभी - कभी अभिधा के द्वारा असंभव - सी हो जाती है , तब मनुष्य भाषा के नए - नए प्रयोग करता है ! इसी से शब्दों के प्रचलित अर्थ बदल जाते है ! यह प्रक्रिया मुहावरों की जन्मदात्री है ! भाषा में मनोवेगो या मनोभावों से सम्बंधित मुहावरे इसलिए अधिक है , क्योंकि उनकी अभिव्यक्ति में अनेक प्रकार के प्रयोग किये जाते हैं यथा- क्रोध के लिए दाँत पीसना , आग -बबूला होना , लाल - पीला होना आदि !
प्रेम , घृणा , क्रोध आदि की अभिव्यक्ति कभी - कभी अभिधा के द्वारा असंभव - सी हो जाती है , तब मनुष्य भाषा के नए - नए प्रयोग करता है ! इसी से शब्दों के प्रचलित अर्थ बदल जाते है ! यह प्रक्रिया मुहावरों की जन्मदात्री है ! भाषा में मनोवेगो या मनोभावों से सम्बंधित मुहावरे इसलिए अधिक है , क्योंकि उनकी अभिव्यक्ति में अनेक प्रकार के प्रयोग किये जाते हैं यथा- क्रोध के लिए दाँत पीसना , आग -बबूला होना , लाल - पीला होना आदि !
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