हिंदी व्याकरण

हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण स्मरणीय बिंदु 
  1. भाषा की छोटी से छोटी ध्वनियाँ जिनके टुकड़े नहीं किये जा सकते , वर्ण कहलाती है !
  2. वर्णों के व्यवस्थित तथा क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते है !
  3. वर्णों के दो भेद होते है - स्वर तथा व्यंजन !
  4. जिन वर्णों के उच्चारण में दूसरे वर्णों की सहायता नहीं लेनी पड़ती , उन्हें स्वर कहते हैं !
  5. स्वरों के तीन भेद होते हैं - हस्व , दीर्घ , प्लुत स्वर !
  6. जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है, उन्हें व्यंजन कहते हैं !
  7. व्यंजनों को दो आधारों पर बाँटा जा सकता है - उच्चारण के आधार पर तथा परस्पर मेल के आधार पर !
  8. जो व्यंजन दो भिन्न -भिन्न व्यंजनों के संयोग से बनते हैं , वे संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं !
  9. दो समान व्यंजनों के संयोग से बनने वाले व्यंजन द्वित्व व्यंजन कहलाते हैं !
  10. वर्णों का ऐसा समूह जिसका कोई अर्थ होता है , शब्द कहलाता हैं!
  11. शब्दों का वर्गीकरण चार ०४ आधारों पर किया जा सकता है - स्त्रोत या उत्पत्ति के आधार पर , रचना के आधार पर , अर्थ के आधार पर तथा प्रयोग के आधार पर !
  12. स्त्रोत या उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के चार भेद होते है - तत्सम , तद्भव,देशज,विदेशी शब्द !
  13. रचना के आधार पर शब्दों के तीन ०३ भेद होते हैं - रूढ़ ,यौगिक , तथा योगरूढ़ शब्द !
  14. अर्थ के आधार पर शब्दों के दो भेद होते हैं - सार्थक तथा निरर्थक शब्द !
  15. प्रयोग के आधार पर भी शब्दों के दो ०२ भेद होते हैं - विकारी तथा अविकारी शब्द ! 
  16. जो शब्दांश मूल शब्दों के प्रारम्भ में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं तथा उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं , उपसर्ग कहलाते हैं !
  17. हिंदी भाषा में उपसर्ग के चार 04 भेद होते है - संस्कृत के उपसर्ग , उर्दू के उपसर्ग , हिंदी के उपसर्ग , तथा उर्दू की भाँति प्रयोग किये जाने वाले संस्कृत के अव्यव !
  18. जो शब्दांश मूल शब्दों के अंत में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं , तथा उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते है , प्रत्यय कहलाते हैं ! 
  19. जो प्रत्यय क्रिया के धातु रूप मे जुड़कर संज्ञा और विशेषण शब्दों का निर्माण करते है , उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं ! 
  20. जो प्रत्यय क्रिया से भिन्न शब्दों अर्थात संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण  आदि में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते है , उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं  ! 
  21. दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों को संक्षिप्त करके नया शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं ! 
  22. समस्तपद में पहला पद पूर्वपद तथा दूसरा पद उत्तरपद कहलाता हैं ! 
  23. समास के 6 भेद होते हैं - अव्ययीभाव , तत्पुरुष , द्विगु , द्वंद्व , कर्मधारय तथा बहुब्रीहि समास !
  24. जिस समास का प्रथम पद प्रधान और अव्यय हो , वह अव्ययीभाव समास कहलाता है ! 
  25. जिस समास का प्रथम पद संख्यावाचक विशेषण हो , वह द्विगु समास कहलाता है !
  26. जिस समास में दोनों पद प्रधान हो , वह द्वंद्व समास कहलाता है !
  27. जिस समास के दोनों पदों में विशेषण - विशेष्य अथवा उपमेय - उपमान   का संबंध हो , वह कर्मधारय समास कहलाता है ! 
  28. जिस समास का उत्तरपद प्रधान तथा पूर्वपद गौण हो, वह तत्पुरुष समास कहलाता है !
  29. जिस समास के दोनों पद गौण हो तथा अर्थ की दृष्टि से कोई अन्य पद प्रधान हो , वह बहुव्रीहि समास कहलाता है !
  30. दो वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है , उसे संधि कहते हैं ! 
  31. संधियुक्त शब्दों को अलग - अलग करके लिखने की प्रक्रिया  संधि - विच्छेद कहलाती हैं ! 
  32. संधि के तीन भेद होते हैं - स्वर, व्यंजन, विसर्ग !
  33. दो स्वरों के परस्पर मेल से उनमे जो परिवर्तन होता है , उसे स्वर संधि कहते हैं ! 
  34. स्वर व व्यंजन , व्यंजन व स्वर तथा व्यंजन व व्यंजन के संयोग से उनमे जो विकार अथवा परिवर्तन होता हैं , उसे व्यंजन संधि कहते है !
  35. विसर्ग( ाः ) के बाद कोई स्वर या व्यंजन आने पर उनमे जो परिवर्तन होता है , उसे विसर्ग संधि कहते है ! 
  36. किसी व्यक्ति , प्राणी , वस्तु , स्थान अथवा भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्दों को संज्ञा कहते है !
  37. संज्ञा के तीन भेद होते है - व्यक्तिवाचक , जातिवाचक , भाववाचक !
  38. जो संज्ञा शब्द किसी विशेष व्यक्ति , प्राणी , स्थान अथवा वस्तु के नाम का बोध कराते हैं, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं ! 
  39. जो संज्ञा शब्द किसी विशेष व्यक्ति , प्राणी , स्थान अथवा वस्तु की संपूर्ण जाति का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते है !
  40. जो संज्ञा शब्द  किसी व्यक्ति , प्राणी , वस्तु  अथवा स्थान के गुण , दोष , दशा या भाव आदि का बोध कराते हैं , उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते है !
  41. अंग्रेजी व्याकरण के प्रभाव से संज्ञा के दो भेद और माने जाते है - समुदायवाचक तथा द्रव्यवाचक संज्ञा !
  42. जो संज्ञा शब्द किसी व्यक्ति , प्राणी अथवा वस्तु के समुदाय या समूह का बोध कराते हैं , उन्हें समुदायवाचक संज्ञा कहते है ! 
  43. जो संज्ञा शब्द किसी द्रव्य , पदार्थ या धातु का बोध करते हैं, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है !
  44. संज्ञा एक विकारी शब्द है - इसके तीन विकारक तत्त्व होते है - लिंग , वचन ,कारक !
  45. पुरुष अथवा स्त्री जाति  का  बोध कराने वाले संज्ञा शब्दों को लिंग कहते है !
  46. लिंग के दो ०२ भेद होते हैं - स्त्रीलिंग ,पुल्लिंग !
  47. संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसके एक या एक से अधिक होने का पता चलता है , उसे वचन कहते है !
  48. वचन के दो भेद होते है - एकवचन , बहुवचन
  49. संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका सम्बन्ध क्रिया अथवा वाक्य के अन्य शब्दों के साथ जाना जाता है , वह कारक कहलाता है ! 
  50. कारक के आठ 08 भेद होते है - कर्ता ,कर्म , करण , सम्प्रदान,अपादान,सम्बन्ध,अधिकरण,तथा सम्बोधन
  51. संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते है !
  52. सर्वनाम के ६ भेद  है - पुरुषवाचक , निश्चयवाचक , अनिश्चयवाचक ,प्रश्नवाचक , सम्बन्धवाचक , निजवाचक सर्वनाम !
  53. पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं - उत्तम पुरुष , मध्यम पुरुष , अन्य पुरुष !
  54. निश्चयवाचक सर्वनाम शब्द किसी व्यक्ति , वस्तु , स्थान का निश्चित रूप से बोध  कराते हैं जबकि अनिश्चयवाचक सर्वनाम शब्द इनका निश्चित रूप से बोध नहीं कराते ! 
  55. जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए किया जाता है , उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है !
  56. जिन सर्वनाम शब्दों से मुख्य तथा आश्रित उपवाक्यों के मध्य सम्बन्ध स्थापित होता है , उन्हें सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं !
  57. जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता स्वयं के लिए करता है , उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं !
  58. संज्ञा या सर्वनाम  शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं ! 
  59. विशेषण जिन शब्दों की विशेषता बताते है , उन्हें विशेष्य कहते हैं !
  60. विशेषण के चार ०४ भेद  होतें हैं - गुणवाचक , संख्यावाचक , परिमाणवाचक , सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण ! 
  61. जो शब्द विशेषण शब्दों  की   विशेषता बताते है , उन्हें प्रविशेषण कहतें हैं !
  62. जिन शब्दों से किसी कार्य के करने या होने का बोध हो , उन्हें क्रिया कहते हैं !
  63. कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं - सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया !
  64. जिस क्रिया में कर्म होता है , उसे सकर्मक क्रिया तथा जिस क्रिया में कर्म नहीं होता हैं , उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं !
  65. सकर्मक क्रियाएँ दो ०२ प्रकार की होती है - एककर्मक और द्विकर्मक क्रिया !
  66. प्रयोग या संरचना के आधार पर क्रिया के सात भेद होते हैं- सामान्य,संयुक्त, प्रेरणार्थक,नामधातु,पूर्वकालिक,अनुकरणात्मक , विधिसूचक क्रिया !
  67. जब दो या दो  से अधिक भिन्न -भिन्न क्रियांएँ मिलकर एक पूर्ण क्रिया बनाती हैं,तो उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं !
  68. क्रिया के जिस रूप से कार्य के करने या होते के समय का पता चलता है, उसे काल कहते हैं !
  69. काल के तीन भेद होते हैं - वर्तमान काल , भूतकाल , भविष्यकाल !
  70. क्रिया के  जिस रूप से उसके चल रहे समय में होने या करने का  बोध होता हैं , उसे वर्तमान काल कहते हैं ! 
  71. वर्त्तमान काल के तीन भेद होते हैं - सामान्य , अपूर्ण , संधिग्द वर्तमान काल !
  72. क्रिया के जिस रूप से उसके बीते हुए समय में होने  या करने का बोध होता है , उसे भूतकाल कहते हैं!
  73. भूतकाल के ०६ भेद होते हैं - सामान्य , आसन्न , पूर्ण,अपूर्ण,संदिग्ध ,हेतु-हेतुमद भूतकाल !
  74. क्रिया के जिस रूप से उसके आने वाले समय में होने या करने का बोध होता है , उसे भविष्यकाल कहते हैं !
  75. भविष्यकाल के भी तीन ०३ भेद होते हैं - सामान्य , संभाव्य , हेतु - हेतुमद  भविष्यकाल !
  76. क्रिया की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द क्रिया विशेषण कहलाते है !
  77. जो शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों साथ प्रकट करते हैं ,उन्हें सम्बन्धबोधक कहते हैं !
  78. दो शब्दों , वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को समुच्चयबोधक कहते हैं !
  79. समुच्चयबोधक के दो भेद होते हैं - समानाधिकरण तथा व्यधिकरण समुच्चयबोधक !
  80. जो शब्द हर्ष , शोक , घृणा, आश्चर्य आदि मनोभावों को प्रकट करते हैं , वे विस्मयादिबोधक कहलाते हैं !
  81. जो शब्द वाक्य में किसी शब्द के बाद जुड़कर उसे विशेष बल प्रदान करते हैं , वे निपात कहलाते हैं !
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