हिंदी व्याकरण
हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण स्मरणीय बिंदु
- भाषा की छोटी से छोटी ध्वनियाँ जिनके टुकड़े नहीं किये जा सकते , वर्ण कहलाती है !
- वर्णों के व्यवस्थित तथा क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते है !
- वर्णों के दो भेद होते है - स्वर तथा व्यंजन !
- जिन वर्णों के उच्चारण में दूसरे वर्णों की सहायता नहीं लेनी पड़ती , उन्हें स्वर कहते हैं !
- स्वरों के तीन भेद होते हैं - हस्व , दीर्घ , प्लुत स्वर !
- जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है, उन्हें व्यंजन कहते हैं !
- व्यंजनों को दो आधारों पर बाँटा जा सकता है - उच्चारण के आधार पर तथा परस्पर मेल के आधार पर !
- जो व्यंजन दो भिन्न -भिन्न व्यंजनों के संयोग से बनते हैं , वे संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं !
- दो समान व्यंजनों के संयोग से बनने वाले व्यंजन द्वित्व व्यंजन कहलाते हैं !
- वर्णों का ऐसा समूह जिसका कोई अर्थ होता है , शब्द कहलाता हैं!
- शब्दों का वर्गीकरण चार ०४ आधारों पर किया जा सकता है - स्त्रोत या उत्पत्ति के आधार पर , रचना के आधार पर , अर्थ के आधार पर तथा प्रयोग के आधार पर !
- स्त्रोत या उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के चार भेद होते है - तत्सम , तद्भव,देशज,विदेशी शब्द !
- रचना के आधार पर शब्दों के तीन ०३ भेद होते हैं - रूढ़ ,यौगिक , तथा योगरूढ़ शब्द !
- अर्थ के आधार पर शब्दों के दो भेद होते हैं - सार्थक तथा निरर्थक शब्द !
- प्रयोग के आधार पर भी शब्दों के दो ०२ भेद होते हैं - विकारी तथा अविकारी शब्द !
- जो शब्दांश मूल शब्दों के प्रारम्भ में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं तथा उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं , उपसर्ग कहलाते हैं !
- हिंदी भाषा में उपसर्ग के चार 04 भेद होते है - संस्कृत के उपसर्ग , उर्दू के उपसर्ग , हिंदी के उपसर्ग , तथा उर्दू की भाँति प्रयोग किये जाने वाले संस्कृत के अव्यव !
- जो शब्दांश मूल शब्दों के अंत में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं , तथा उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते है , प्रत्यय कहलाते हैं !
- जो प्रत्यय क्रिया के धातु रूप मे जुड़कर संज्ञा और विशेषण शब्दों का निर्माण करते है , उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं !
- जो प्रत्यय क्रिया से भिन्न शब्दों अर्थात संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण आदि में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते है , उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं !
- दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों को संक्षिप्त करके नया शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं !
- समस्तपद में पहला पद पूर्वपद तथा दूसरा पद उत्तरपद कहलाता हैं !
- समास के 6 भेद होते हैं - अव्ययीभाव , तत्पुरुष , द्विगु , द्वंद्व , कर्मधारय तथा बहुब्रीहि समास !
- जिस समास का प्रथम पद प्रधान और अव्यय हो , वह अव्ययीभाव समास कहलाता है !
- जिस समास का प्रथम पद संख्यावाचक विशेषण हो , वह द्विगु समास कहलाता है !
- जिस समास में दोनों पद प्रधान हो , वह द्वंद्व समास कहलाता है !
- जिस समास के दोनों पदों में विशेषण - विशेष्य अथवा उपमेय - उपमान का संबंध हो , वह कर्मधारय समास कहलाता है !
- जिस समास का उत्तरपद प्रधान तथा पूर्वपद गौण हो, वह तत्पुरुष समास कहलाता है !
- जिस समास के दोनों पद गौण हो तथा अर्थ की दृष्टि से कोई अन्य पद प्रधान हो , वह बहुव्रीहि समास कहलाता है !
- दो वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है , उसे संधि कहते हैं !
- संधियुक्त शब्दों को अलग - अलग करके लिखने की प्रक्रिया संधि - विच्छेद कहलाती हैं !
- संधि के तीन भेद होते हैं - स्वर, व्यंजन, विसर्ग !
- दो स्वरों के परस्पर मेल से उनमे जो परिवर्तन होता है , उसे स्वर संधि कहते हैं !
- स्वर व व्यंजन , व्यंजन व स्वर तथा व्यंजन व व्यंजन के संयोग से उनमे जो विकार अथवा परिवर्तन होता हैं , उसे व्यंजन संधि कहते है !
- विसर्ग( ाः ) के बाद कोई स्वर या व्यंजन आने पर उनमे जो परिवर्तन होता है , उसे विसर्ग संधि कहते है !
- किसी व्यक्ति , प्राणी , वस्तु , स्थान अथवा भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्दों को संज्ञा कहते है !
- संज्ञा के तीन भेद होते है - व्यक्तिवाचक , जातिवाचक , भाववाचक !
- जो संज्ञा शब्द किसी विशेष व्यक्ति , प्राणी , स्थान अथवा वस्तु के नाम का बोध कराते हैं, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं !
- जो संज्ञा शब्द किसी विशेष व्यक्ति , प्राणी , स्थान अथवा वस्तु की संपूर्ण जाति का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते है !
- जो संज्ञा शब्द किसी व्यक्ति , प्राणी , वस्तु अथवा स्थान के गुण , दोष , दशा या भाव आदि का बोध कराते हैं , उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते है !
- अंग्रेजी व्याकरण के प्रभाव से संज्ञा के दो भेद और माने जाते है - समुदायवाचक तथा द्रव्यवाचक संज्ञा !
- जो संज्ञा शब्द किसी व्यक्ति , प्राणी अथवा वस्तु के समुदाय या समूह का बोध कराते हैं , उन्हें समुदायवाचक संज्ञा कहते है !
- जो संज्ञा शब्द किसी द्रव्य , पदार्थ या धातु का बोध करते हैं, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है !
- संज्ञा एक विकारी शब्द है - इसके तीन विकारक तत्त्व होते है - लिंग , वचन ,कारक !
- पुरुष अथवा स्त्री जाति का बोध कराने वाले संज्ञा शब्दों को लिंग कहते है !
- लिंग के दो ०२ भेद होते हैं - स्त्रीलिंग ,पुल्लिंग !
- संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसके एक या एक से अधिक होने का पता चलता है , उसे वचन कहते है !
- वचन के दो भेद होते है - एकवचन , बहुवचन !
- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका सम्बन्ध क्रिया अथवा वाक्य के अन्य शब्दों के साथ जाना जाता है , वह कारक कहलाता है !
- कारक के आठ 08 भेद होते है - कर्ता ,कर्म , करण , सम्प्रदान,अपादान,सम्बन्ध,अधिकरण,तथा सम्बोधन !
- संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते है !
- सर्वनाम के ६ भेद है - पुरुषवाचक , निश्चयवाचक , अनिश्चयवाचक ,प्रश्नवाचक , सम्बन्धवाचक , निजवाचक सर्वनाम !
- पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं - उत्तम पुरुष , मध्यम पुरुष , अन्य पुरुष !
- निश्चयवाचक सर्वनाम शब्द किसी व्यक्ति , वस्तु , स्थान का निश्चित रूप से बोध कराते हैं जबकि अनिश्चयवाचक सर्वनाम शब्द इनका निश्चित रूप से बोध नहीं कराते !
- जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए किया जाता है , उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है !
- जिन सर्वनाम शब्दों से मुख्य तथा आश्रित उपवाक्यों के मध्य सम्बन्ध स्थापित होता है , उन्हें सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं !
- जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता स्वयं के लिए करता है , उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं !
- संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं !
- विशेषण जिन शब्दों की विशेषता बताते है , उन्हें विशेष्य कहते हैं !
- विशेषण के चार ०४ भेद होतें हैं - गुणवाचक , संख्यावाचक , परिमाणवाचक , सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण !
- जो शब्द विशेषण शब्दों की विशेषता बताते है , उन्हें प्रविशेषण कहतें हैं !
- जिन शब्दों से किसी कार्य के करने या होने का बोध हो , उन्हें क्रिया कहते हैं !
- कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं - सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया !
- जिस क्रिया में कर्म होता है , उसे सकर्मक क्रिया तथा जिस क्रिया में कर्म नहीं होता हैं , उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं !
- सकर्मक क्रियाएँ दो ०२ प्रकार की होती है - एककर्मक और द्विकर्मक क्रिया !
- प्रयोग या संरचना के आधार पर क्रिया के सात भेद होते हैं- सामान्य,संयुक्त, प्रेरणार्थक,नामधातु,पूर्वकालिक,अनुकरणात्मक , विधिसूचक क्रिया !
- जब दो या दो से अधिक भिन्न -भिन्न क्रियांएँ मिलकर एक पूर्ण क्रिया बनाती हैं,तो उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं !
- क्रिया के जिस रूप से कार्य के करने या होते के समय का पता चलता है, उसे काल कहते हैं !
- काल के तीन भेद होते हैं - वर्तमान काल , भूतकाल , भविष्यकाल !
- क्रिया के जिस रूप से उसके चल रहे समय में होने या करने का बोध होता हैं , उसे वर्तमान काल कहते हैं !
- वर्त्तमान काल के तीन भेद होते हैं - सामान्य , अपूर्ण , संधिग्द वर्तमान काल !
- क्रिया के जिस रूप से उसके बीते हुए समय में होने या करने का बोध होता है , उसे भूतकाल कहते हैं!
- भूतकाल के ०६ भेद होते हैं - सामान्य , आसन्न , पूर्ण,अपूर्ण,संदिग्ध ,हेतु-हेतुमद भूतकाल !
- क्रिया के जिस रूप से उसके आने वाले समय में होने या करने का बोध होता है , उसे भविष्यकाल कहते हैं !
- भविष्यकाल के भी तीन ०३ भेद होते हैं - सामान्य , संभाव्य , हेतु - हेतुमद भविष्यकाल !
- क्रिया की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द क्रिया विशेषण कहलाते है !
- जो शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों साथ प्रकट करते हैं ,उन्हें सम्बन्धबोधक कहते हैं !
- दो शब्दों , वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को समुच्चयबोधक कहते हैं !
- समुच्चयबोधक के दो भेद होते हैं - समानाधिकरण तथा व्यधिकरण समुच्चयबोधक !
- जो शब्द हर्ष , शोक , घृणा, आश्चर्य आदि मनोभावों को प्रकट करते हैं , वे विस्मयादिबोधक कहलाते हैं !
- जो शब्द वाक्य में किसी शब्द के बाद जुड़कर उसे विशेष बल प्रदान करते हैं , वे निपात कहलाते हैं !
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