Samas ki paribhasha tatha Samas ke sabhi bhedon ke udaharan PDF | समास का अर्थ समास की परिभाषा समास के सभी भेदों के उदाहरण
समास : अर्थ, परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
समास का अर्थ और परिभाषा
समास शब्द का अर्थ संक्षिप्तीकरण या संघटन है। जब दो या दो से अधिक शब्द मिलकर संक्षिप्त रूप में एक नया तथा सार्थक शब्द बनाते हैं, उसे समास कहते हैं।
सर्वप्रथम, “समास” शब्द संस्कृत के ‘सम्’ उपसर्ग और ‘आस’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है – संक्षिप्तीकरण।
परिभाषा: “दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जब एक नया, छोटा एवं अर्थवान शब्द तैयार होता है, उसे समास कहते हैं।”
• ‘राजा का पुत्र’ → राजपुत्र
• ‘गंगा का जल’ → गंगाजल
• ‘पुस्तकों का आलय’ → पुस्तकालय
• ‘रसोई के लिए घर’ → रसोईघर
इस नव सृजित शब्द को सामासिक शब्द या समस्त पद कहते हैं।
जब सामासिक शब्द को मूल रूप में विस्तार से अलग किया जाता है, तो उसे समास-विग्रह कहते हैं।
न्यूनतम शब्दों में अधिकतम अर्थ प्रकट करना — यही समास की विशेषता है। [1][2][4][5]
समास के अंग
- पूर्वपद – पहले स्थान का शब्द
- उत्तरपद – बाद में आने वाला पद
समास के प्रकार (भेद)
हिंदी में समास के कुल छह प्रमुख भेद (प्रकार) माने जाते हैं:
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वंद्व समास
- बहुव्रीहि समास
1. अव्ययीभाव समास
जिस समास में पूर्वपद अव्यय (अपरिवर्तनीय) होता है और पूरा शब्द अव्यय जैसे प्रयुक्त होता है, उसे ‘अव्ययीभाव समास’ कहते हैं।
इसमें संपूर्ण अर्थ पहले पद से मिल जाता है।
सामासिक शब्द | समास विग्रह |
---|---|
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार |
यथाशक्ति | जितना संभव हो |
परिश्रमपूर्वक | परिश्रम करके |
सर्वत्र | सब जगह |
यथानियम | नियम के अनुसार |
प्रात:काल | सुबह के समय |
2. तत्पुरुष समास
जिस समास में उत्तरपद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच विभक्ति का लोप हो जाता है, उसे ‘तत्पुरुष समास’ कहते हैं।
तत्पुरुष समास के और भी उपभेद हैं – जैसे: कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण।
सामासिक शब्द | समास विग्रह | भेद |
---|---|---|
राजपुत्र | राजा का पुत्र | संबंध |
जलपान | जल का पान | कर्म |
पगडंडी | पग के लिए डंडी | अधिकरण |
रामगमन | राम का गमन | संबंध |
सूर्यकिरण | सूर्य की किरण | संबंध |
रावणहत्या | रावण की हत्या | कर्म |
3. कर्मधारय समास
जिस समास में उत्तरपद प्रधान होता है और दोनों पदों में विशेषण–विशेष्य या उपमेय–उपमान सम्बन्ध होता है, उसे 'कर्मधारय समास' कहा जाता है। यहाँ दोनों पद समान अर्थ के होते हैं।
सामासिक शब्द | समास विग्रह |
---|---|
नीलकमल | नीला है जो कमल |
महापुरुष | महान पुरुष |
चरणकमल | कमल के समान चरण |
गुरुदेव | गुरु रूपी देव |
सुजलाम् | सु (अच्छा) – जल (पानी) |
दुर्दिन | दु: (बुरा) – दिन |
4. द्विगु समास
जिस समास के पूर्वपद में संख्या होती है (संख्या – द्वि, त्रि, चार, पांच, आदि) और उसका योग मिलकर संज्ञा का अर्थ देता है, उसे ‘द्विगु समास’ कहते हैं।
सामासिक शब्द | समास विग्रह |
---|---|
त्रिलोक | तीन लोक |
सप्तर्षि | सात ऋषि |
द्विपक्षी | दो पक्षों वाला |
चतुर्मुख | चार मुख वाला |
पंचवटी | पांच वृक्षों वाली जगह |
द्विपुत्र | दो पुत्र |
5. द्वंद्व समास
जिस समास में दोनों पद समान रूप से प्रधान होते हैं और विग्रह में 'और' या 'एवं' शब्द आ सके, उसे ‘द्वंद्व समास’ कहते हैं।
सामासिक शब्द | समास विग्रह |
---|---|
राम–लक्ष्मण | राम और लक्ष्मण |
राधा-कृष्ण | राधा और कृष्ण |
जलवायु | जल और वायु |
पाप–पुण्य | पाप और पुण्य |
अन्न-जल | अन्न और जल |
अमीर–गरीब | अमीर और गरीब |
6. बहुव्रीहि समास
जिस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि दोनों मिलकर किसी तीसरे का बोध कराते हैं — उसे 'बहुव्रीहि समास' कहते हैं।
सामासिक शब्द | समास विग्रह |
---|---|
पितामह | जिसके पिता महान हैं (दादा) |
चतुर्बाहु | जिसके चार बांहें हैं (विष्णु) |
नीलकंठ | जिसका कंठ नीला है (शिव) |
धनाढ्य | जो धन में धनी है |
दुर्बल | जो बल में कमजोर है |
मृगनयनी | जिसकी आंखें मृग के समान हैं |
समास के महत्व
- शब्दों की economy या संक्षिप्तता बढ़ाता है।
- कविता एवं निबंध में लालित्य और शक्ति लाता है।
- काल्पनिक कथनों में सूक्ष्म विचार प्रकट करने का माध्यम है।
- भाषा को गहन, प्रभावी तथा सारगर्भित बनाता है।
अन्य विशेष तथ्य
- हिंदी समास की जड़ें संस्कृत grammar में भी हैं।
- समास की समुचित पहचान — सही विग्रह व उपयुक्त अर्थ निकालना है।
- अव्ययीभाव में उपसर्गों वाले समस्तपद भी आते हैं – जैसे: 'निश्छल', 'निर्दोष' आदि।
- बहुव्रीहि समास में 'विषय से अलग विशेष्यता' का भाव प्रमुख होता है।
- तत्पुरुष भेद में कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण – ये उपभेद सबसे जरूरी हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
समास हिंदी भाषा का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है, जो भाषा में अर्थ की संक्षिप्तता व सशक्तता लाकर अभिव्यक्ति को सजीव बनाता है। विद्यार्थियों, शिक्षकों, लेखकों – सभी के लिए उचित समास ज्ञान आवश्यक है।
अधिक शब्दों में कम अर्थ की प्रस्तुति के लिए समास विधा अमूल्य है।
टिप्पणियाँ