सबक भाग 2

अब सोमवार का दिन था सुबह के 5:00 बजे दादी की आवाज कानों में पड़ी अजहर मृगराज उठो ! सुबह हो गई आलाराम  बज रहा है सुनाई नहीं दे रहा क्या ? जल्दी से आलाराम  को बंद करो! अजहर तो उठ गया लेकिन मैं सोच रहा था कि कट्टर होने के बावजूद यह दादी आला राम आलाराम रही है! सच में यह हमारा देश अनोखा है जहां पर हिंदू मुस्लिम लोगों ने अलार्म शब्द को आलाराम में तब्दील कर दिया! मेरे कई हिंदू दोस्तों की मम्मी आ बड़े गर्व के साथ कहती है कि मैं अजान होने से पहले उठ जाती हूं ! कई धर्मों की घड़ी एवं कार्य जान से संबंधित है!
हमारे यहां पर यानी ब्यावरा शहर में एक जगह ऐसी जहां शीतला माता का मंदिर है! वहां सभी अनुष्ठान हिंदू करते हैं लेकिन उस मोहल्ले में सबसे ज्यादा मुसलमान रहते हैं और वे अपना पता गर्व से बताते हैं कि शीतला माता मंदिर के पास!
अपने हाथों से शीतला माता मंदिर के पास सामने वाली गली में, पता लिखते हैं! यही हाल मस्जिदों के सामने रहे हिंदुओं का है और यह सिर्फ मेरे शहर या मेरे राज्य की बात नहीं है यह सब बातें हमारे पूरे भारतवर्ष में होती है! ऐसा सिर्फ हमारे भारत देश में ही हो सकता है इन बातों से मुझे यही सबक मिला है कि सभी एक हैं! हम सब का शरीर एक ही कार्य करता है दुआ प्रार्थना अलग ढंग से करते हैं लेकिन उनका मकसद एक ही है हमने किसी ने भी चांद की सरजमी को नहीं देखा वहां के पत्थरों को नहीं देखा चांद को छुआ भी नहीं और कितनी आस्था है यहीं से चांद को टीका लगाते हैं आरती करते हैं कोई सलाम करता है लेकिन उस चांद की जमीन के लिए अभी तक कोई नहीं लड़ा ना ही दंगे हुए ना ही अदालत का दरवाजा खटखटाया ना ही किसी ने वहां की जमीन पर दावा ठोका या फिर हम अच्छी तरह जानते हैं कि यदि वहां दावा ठोक भी दिया गया तो वहां पुरातत्व विभाग को ना मंदिर की मूर्ति मिलेंगी मस्जिदों की दीवारें ना भगवान का नाम मिलेगा ना अल्लाह का निशान जल्दी करो लोगों नहीं तो चांद को हड़प लेगा विज्ञान इसके विपरीत हमने हमारी प्यारी धरती को छुआ है यहां के पत्थरों को छुआ है यहां हम ने आंखें खोली है सांस ली है लेकिन हमें इस जन्नत की कदर नहीं है मस्जिद मंदिर दोनों पत्थरों से बनती है लेकिन जब मंदिर के सामने जलसा निकलेगा तो तो मंदिर के सामने पत्थर फेंके जाते हैं और मस्जिद के सामने जब जुलूस निकलता है तो रंग मस्जिद पर फेंकते हुए निकलते हैं फिर दंगे भड़कने हैं कई जाने जाती है धरती नरक बन जाती है सच में हमने हमारी धरती पर कई दाग लगा डाले हैं अक्सर लोग कहते हैं चांद पर दाग क्यों हैं लेकिन लोग आज तक समझ नहीं सके कि चांद में दाग और कैसे लगे और किसने दिए यहां धरती हमने जलाई दाग चांद पर देखें सच तो यह है कि जिस प्रकार हम बन संवर ने के लिए आईने का प्रयोग करते हैं उसी प्रकार धरती भी अपने आप को चांद में निहारती है लेकिन जब तो भगवान और अल्लाह हमारी दिनचर्या का हिस्सा ही है तो फिर हम कैसे और क्यों हैवान बनते जा रहे हैं सबक लें कि यह सब शायद आपके साथ भी हुआ होगा हम सब को ईद के चांद शरद पूर्णिमा के चांद करवा चौथ के चांद के दाग धोने हैं!!

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