सबक !!!! भाग 1

मैं शायद इस बार भी ईद के चांद का दीदार नहीं कर पाता लेकिन उस दिन में मथुरा ट्रेन में सफर कर रहा था तभी शाम के समय मेरी नजर ईद के चांद पर पड़ी| मैं एक टक उसे देखता ही रह गया.. उस दुबले-पतले चांद में गजब का नूर था और तारा भी आज अपने नूर पर मानव इटला रहा था,, ट्रेन में सभी हिंदू लोग ही बैठे थे सभी उसी को देख रहे थे और उसी की बातें कर रहे थे मेरे मन में विचार आया कि सभी मुस्लिम भाई आज दुआ कर रहे होंगे,, खुशी मना रहे होंगे.. इस घटना के कुछ ही महीनों बाद शरद पूर्णिमा का अवसर आ गया अब सभी हिंदुओं को बेसब्री से चांद का इंतजार था,,, आज नूर अमृत में बदल गया था 12 बजते ही मंगल गीत आरतियां आदि कार्यक्रम होने लगे,, लोग यहीं से चांद को कुमकुम का टीका लगा रहे थे उस दिन सेवइयां की खीर बट रही थी,, तो आज चावल की खीर बट रही थी,,, ईद के दिन कई हिंदू भाई उस नूर में नहाए होंगे और आज कई मुसलमान भाई अमृत में नहाए होंगे.. पहले में फार्मेसी कॉलेज में पढ़ाई करता था! वहां मेरा रूममेट था अजहर, वैसे वह सभी धर्मों में आस्था रखता था! उसके रोजे चल रहे थे इसलिए उसकी दादी कुछ दिन के लिए खाना बनाने के लिए एवं उसे देखने के लिए आई थी वैसे तो बहुत अच्छी थी लेकिन कट्टर मुस्लिम थी! उस दिन रविवार का दिन था,, उन्होंने मुझे उनके धर्म व कुरान के बारे में जानकारी दी फिर मैं उन्हें अपने धर्म के बारे में बताता तो वह मुझे डांट थी और कहती मेरी सुन तू तो,,!! सच उस दिन उनसे बात करके बड़ा मजा आया लेकिन मन में एक मलाल था कि वह एक बार राम के बारे में तो सुन लेती!!

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